Translate

Sunday 14 July 2013

Rajasthan GK= Raj Prasad(palace)



राज प्रसाद  : राजस्थान में राजाओं, महाराजाओं, सामन्तों, ठिकानेदारों आदि ने अपने निवास के लिए महलों का निर्माण करवाया था, उनमें कुछ नष्ट हो गये तथा कुछ स्थानों के महल सुरक्षित हैं। बैराठ, नागदा, राजोरगढ़, भीनमाल तथा जालौर आदि स्थानों के महल नष्ट हो गये हैं, फिर भी जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, अलवर, कोटा, बूदी, करौली एवं जयपुर के महल सुरक्षित हैं, और उनमें उनके वंशज रहते है। मुगलों के सम्पर्क से पूर्व के राजमहल सादगीपूर्ण तथा छोटे-छोटे कमरों वाले होते थे। जब राजस्थान के राजाओं का सम्पर्क मुगलों से हुआ तब नयी विधा का प्रयोग प्रारम्भ हुआ। अब महलों में जलाशय, फव्वारे, उपवन, बाग-बगीचे, तोपखाना, शास्त्रागार, गवाक्ष, झरोखे, रगंमहल आदि बनाये जाने लगे। इस समय के प्रासादों का स्थापत्य कला उत्कृष्ट है।

उदयपुर का महल:- उदयपुर के राजमहल के बारे में फग्र्यूसन लिखता हैं कि राजपूताने का यह सबसे बडा़ महल हैं तथा लंदन के विण्डसर महल की तरह विशाल हैं।


करौली राजमहल:- यह महल एक विशाल परकोटे से घिरा हुआ है। इसमें भित्तिचित्रों का अच्छा अंकन है। इसमें सफेद चंदन से महकने वाले उद्यान मंे 50 चदंन के वृक्ष हैं।

कोटा का हवामहल:- यह कोटा  के गढ़ के पास निर्मित  हवामहल हिन्दू  स्थापत्य  कला का  सुन्दर  नमूना है।

जयनिवास महल:- महाराजा जयसिंह द्वारा निर्मित राज प्रासाद जयनिवास कहलाता है। यह जयपुर में स्थित हैं, इसे अब सिटी पैलेस भी कहते हैं। इसका मुख्य द्वार त्रिपोलिया कहलाता हैं। यह दरवाजा केवल पूर्व महाराजा के लिए या गणगौर की सवारी के लिए ही खोला जाता है। इसमें यूरोपीय तथा भारतीय भवन निर्माण पद्धति का मिश्रण है। इसी परिवार में सवाई माधोसिंह द्वारा निर्मित मुबारक महल भी हैं।

हवामहल (जयपुर):- 1799 ई. मे. निर्मित हवामहल पिरामिड की आकृति मंे है। इसमें छोटी-छोटी खिड़कियाँ हैं, इसलिए इसको हवामहल कहा जाता है।

तलहटी महल:- मेहरानगढ़ की तलहटी में एक विशाल चटृान पर राजा सूरसिंह ने रानी सौभाग्य देवी के लिए महलों का निर्माण करवाया था।

उम्मेद महल:- इसे छीतर महल भी कहते हैं। यह अत्याधुनिक महल है। 1929 में राजा उम्मेदसिंह ने बनवाया था। इसमंे पाँच सितारा होटल भी चलता है। हेरीटेज होटल के रूप में विकसित है। यह जोधपुर में स्थित हैं।

राई का बाग पेलेस:- जोधपुर मंे स्थित इस महल को राजा जसंवत सिंह प्रथम की रानी हाड़ीजी ने 1663 ई. में बनवाया था। 1883 ई. में दयानन्द सरस्वती ने इसी महल में बैठकर राजा को उपदेश दिया था।

काष्ठ प्रासाद:- यह झालावाड़ में स्थित हैं लकडी़ से निर्मित यह महल राजा राजेन्द्र सिंह ने 1936 ई0 में बनवाया था। यह महल तीन हजार पाँच सौ वर्ग फुट फैला हुआ है।

बंूदी के राज महल:- यहाँ के राज महल राजस्थान के महलों मंे अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं, जिस राजा ने जिस महल का निर्माण करवाया, उनके नाम लिखे हुए है। यहाँ पर प्राचीन समय की पानी घडी़ लगी हुई है।

No comments:

Post a Comment