आइए जानते हैं क्या है भोजन गारंटी योजना
यूपीए और सोनिया गांधी के ड्रीम प्रोजेक्ट भोजन सुरक्षा अध्यादेश को राष्ट्रपति ने हरी झंडी दे दी है। ...लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह कि क्या यह जमीनी हकीकत बन पाएगा, क्योंकि यह 'भोजन गारंटी योजना' कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आती है और एक अनुमान के मुताबिक कृषि मंत्रालय का जितना बजट है, उससे कहीं ज्यादा खर्चा इस योजना पर आने वाला है।
गरीबों को सस्ता अनाज देने की योजना : इस योजना में गरीबों को 2 रुपए किलो गेहूं और 3 रुपए किलो चावल और 1 रुपए किलो मोटा अनाज राशन दुकानों के माध्यम से दिया जाएगा। एक परिवार को हर माह 25 किलो अनाज मिलेगा।
गावों की 75 प्रतिशत और शहरों में करीब 50 प्रतिशत आबादी तक यह योजना पहुंचेगी। इस योजना को फिलहाल तीन साल के लिए लागू किया जाएगा। इससे पहले सरकार ने अन्त्योदय योजना चलाई थी। इसमें लाभार्थी को 35 किलो अनाज दिया जाता है। सरकार इस योजना में कोई बदलाव नहीं करना चाहती है। यह योजना चलती रहेगी।
खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत मिड डे मील, आईसीडीएस भी शामिल हो जाएंगे। अनुमान के मुताबिक इस योजना के लागू होने से सरकार को प्रतिवर्ष 1 लाख 24 करोड़ रुपए की सब्सिडी देना होगी। एक किलो चावल पर 23.50 और गेहूं पर प्रतिकिलो 18 रुपए की सब्सिडी देना होगी। 3 साल में करीब 6 लाख करोड़ की सब्सिडी का अनुमान है। यह योजना भारत के कृषि मंत्रालय के अंतर्गत संचालित होना है, जबकि कृषि मंत्री शरद पवार खुद इस योजना को संसद में चर्चा के बाद लागू करने के लिए कह चुके हैं
क्या हैं इसके प्रावधान....
* 63.5 प्रतिशत आबादी को सस्ते दामों में अनाज प्रदान करना।
* खाद्य सुरक्षा विधेयक का बजट पिछले वित्तीय वर्ष के 63000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 95000 करोड़ रुपए करना।
* कृषि उत्पाद बढ़ाने के लिए 110000 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्ताव।
* ग्रामीण क्षेत्रों में 75 फीसदी आबादी को इस विधेयक का लाभ मिलेगा।
* शहरी इलाकों में कुल आबादी के 50 फीसदी लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान किए जाने का प्रस्ताव।
* गर्भवती महिलाओं, बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं, आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों और बूढ़े लोगों को पका हुआ खाना मुहैया करवाया जाएगा।
* स्तनपान कराने वाली महिलाओं को महीने के 1000 रुपए भी दिए जाने का प्रस्ताव।
* नया कानून लागू होने पर इससे कम दाम में गेहूं और चावल पाना निर्धन लोगों का कानूनी अधिकार बन जाएगा
यूपीए और सोनिया गांधी के ड्रीम प्रोजेक्ट भोजन सुरक्षा अध्यादेश को राष्ट्रपति ने हरी झंडी दे दी है। ...लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह कि क्या यह जमीनी हकीकत बन पाएगा, क्योंकि यह 'भोजन गारंटी योजना' कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आती है और एक अनुमान के मुताबिक कृषि मंत्रालय का जितना बजट है, उससे कहीं ज्यादा खर्चा इस योजना पर आने वाला है।
गरीबों को सस्ता अनाज देने की योजना : इस योजना में गरीबों को 2 रुपए किलो गेहूं और 3 रुपए किलो चावल और 1 रुपए किलो मोटा अनाज राशन दुकानों के माध्यम से दिया जाएगा। एक परिवार को हर माह 25 किलो अनाज मिलेगा।
गावों की 75 प्रतिशत और शहरों में करीब 50 प्रतिशत आबादी तक यह योजना पहुंचेगी। इस योजना को फिलहाल तीन साल के लिए लागू किया जाएगा। इससे पहले सरकार ने अन्त्योदय योजना चलाई थी। इसमें लाभार्थी को 35 किलो अनाज दिया जाता है। सरकार इस योजना में कोई बदलाव नहीं करना चाहती है। यह योजना चलती रहेगी।
खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत मिड डे मील, आईसीडीएस भी शामिल हो जाएंगे। अनुमान के मुताबिक इस योजना के लागू होने से सरकार को प्रतिवर्ष 1 लाख 24 करोड़ रुपए की सब्सिडी देना होगी। एक किलो चावल पर 23.50 और गेहूं पर प्रतिकिलो 18 रुपए की सब्सिडी देना होगी। 3 साल में करीब 6 लाख करोड़ की सब्सिडी का अनुमान है। यह योजना भारत के कृषि मंत्रालय के अंतर्गत संचालित होना है, जबकि कृषि मंत्री शरद पवार खुद इस योजना को संसद में चर्चा के बाद लागू करने के लिए कह चुके हैं
क्या हैं इसके प्रावधान....
* 63.5 प्रतिशत आबादी को सस्ते दामों में अनाज प्रदान करना।
* खाद्य सुरक्षा विधेयक का बजट पिछले वित्तीय वर्ष के 63000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 95000 करोड़ रुपए करना।
* कृषि उत्पाद बढ़ाने के लिए 110000 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्ताव।
* ग्रामीण क्षेत्रों में 75 फीसदी आबादी को इस विधेयक का लाभ मिलेगा।
* शहरी इलाकों में कुल आबादी के 50 फीसदी लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान किए जाने का प्रस्ताव।
* गर्भवती महिलाओं, बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं, आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों और बूढ़े लोगों को पका हुआ खाना मुहैया करवाया जाएगा।
* स्तनपान कराने वाली महिलाओं को महीने के 1000 रुपए भी दिए जाने का प्रस्ताव।
* नया कानून लागू होने पर इससे कम दाम में गेहूं और चावल पाना निर्धन लोगों का कानूनी अधिकार बन जाएगा
No comments:
Post a Comment