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Tuesday 4 December 2012

SAARC(South asian association for regional cooperation


सार्क (SAARC)

South asian association for regional cooperation

दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन (सार्क) की स्‍थापना 1985 में की गई थी। इसकी स्‍थापना क्षेत्रीय सहयोग ढ़ाचा विकसित करने के क्षेत्र के सामूहिक निर्णय की अभिव्‍यक्ति के रूप मं की गई। वर्तमान में, सार्क के आठ सदस्‍य है : अफगानिस्‍तान, बंगलादेश, भूटान, भारत, नेपाल, मालद्वीप, पाकिस्‍तान और श्रीलंका।

भारत 2007–08 में सार्क का अध्‍यक्ष था। (नई दिल्‍ली में 3–4 अप्रैल, 2007 में हुए 14वें सार्क शिखर सम्‍मेलन से लेकर 2–3 अगस्‍त, 2008 में कोलम्‍बो में हुए 15वें सार्क शिखर सम्‍मेलन तक)यह अवधि सार्क के इतिहास में सर्वाधिक क्रियाशील थी, जिसमें सार्क एक घोषणा करने वाले संगठन के स्‍थान पर कार्यान्‍वयन वाले संगठन में परिवर्तित होता दिखाई दिया। दिल्‍ली में 14वें शिखर सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री द्वारा की गई प्रत्‍येक घोषणा को अमली जामा पहनाया गया और भारत ने बदले में कुछ न चाहते हुए क्षेत्रीय हित में अपने दायित्‍चों का निर्वाह किया। सार्क की ऐतिहासिक उपलब्‍धियां इस प्रकार रही हैं :


सार्क के अनाज बैंक में सभी सदस्‍य राष्‍ट्रों द्वारा किए गए योगदान से कुल 2,43,000 मीट्रिक टन का भंडार है। इसके सदस्‍यों ने उन स्‍थानों की पहचान भी की है जहां से अनुरोधकर्ता देश आपसी स्‍वीकार्य शर्तों के आधार पर भेजने वाले देश से अपनी जरूरतें पूरी कर सकते हैं।

दक्षिण एशियाई विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार की जा रही है। इसके अंतर्गत परियोजना कार्यालय की स्‍थापना, दक्षिण एशियाई विश्‍वविद्यालय अधिनियम, 2008 द्वारा अंतर्राष्‍ट्रीय कानूनी स्‍वरूप को अंतिम रूप दिया जा सकता है। दक्षिण एशियाई विश्‍वविद्यालय के लिए दिल्‍ली विकास प्राधिकरण से 100 एकड़ भूमि के हस्‍तांतरण की प्रक्रिया अग्रिम चरण में है।

नबंबर, 2005 में ढाका में हुए 13वें सार्क शिखर सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री ने वस्‍त्र एवं हस्‍तशिल्‍पों के लिए सार्क संग्रहालय की स्‍थापना का प्रस्‍ताव किया था। यह संग्रहालय अन्‍य सार्क क्षेत्रीय केंद्रों की तर्ज पर अंतर–सरकारी निकाय होगा और इसकी स्‍थापना दिल्‍ली हाट, पीतम पुरा में की जाएगी। वस्‍त्र एवं हस्‍तशिल्‍प के सार्क संग्रहालय की स्‍थापना के लिए आवश्‍यक वित्‍तीय प्रक्रिया पूरी की जा रही है।

सार्क विकास कोष (एसबीएफ) भी चालू हो गया है। इसे सार्क सचिवालय के अस्‍थायी प्रकोष्‍ठ में चलाया जा रहा है। इसका स्‍थायी परिसर भूटान में निर्माणाधीन है। सार्क विकास कोष से वर्तमान में चलाया जा रहा है। इसका स्‍थायी परिसर भूटान में निर्माधीन है। सार्क विकास कोष से वर्तमान में दो परियोजनाएं लागू की जा रही हैं। भारत में अपने वायदे के अनुसार 18.99 करोड़ अमरीकी डॉलर का पूरा योगदान एसडीएफ को हस्‍तांतरित कर दिया है और उसने सार्क के सदस्‍य देशों को बायो–मास कूकिंग स्‍टोव तथा सोलर लालटेन प्रदान करने के बारे में तीसरी परियोजना प्रस्‍तावित की है।

उपरोक्‍त के अलावा, भारत टेलीमेडिसिन (भूटान और अफगानिस्‍तान), दालों की शटल ब्रीडिंग(भूटान), बीज परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्‍थापना (भूटान), वर्षा जल संरक्षण (भूटान और श्रीलंका) और ग्रामीण सौर ऊर्जा विद्युतीकरण परियोजना (श्रीलंका) के क्षेत्रों में भी परियोजनाएं लागू कर रहा है। ये परियोजनाएं हब–एंड–स्‍पोक मैकेनिज्‍म के अंतर्गत लागू की जा रही है, जिनका केंद्र भारत है।

दक्षिण एशिया मुक्‍त व्‍यापार समझौता (साफ्टा) पूरी तरह लागू किया जा रहा है। सदस्‍य देशों ने 01 जनवरी,2008 से, यानी लक्षित तिथि से एक वर्ष पहले, एलडी देशों को शून्‍य शुल्‍क पहुंच प्रदान करने और एलडी देशों के दायरे से 868 वस्‍तुएं बाहर है। सेवाओं में व्‍यापार के बारे में एक समझौतें का प्रारूप बातचीत के अंतिम चरण में हैं और उम्‍मीद है कि यह इस वर्ष के अंत तक तैयार हो जाएगा।

कोलम्‍बो में 15वें सार्क शिखर सम्‍मेलन में आपराधिक मामलों में परस्‍पर सहायता संबंधी सार्क समझौते पर हस्‍ताक्षर हुए। इससे सार्क में अन्‍य व्‍यवस्‍थाओं के अंतर्गत सुरक्षा संबंधी मामलों में इसी प्रकार के और समझौंतों पर हस्‍ताक्षर होने की उम्‍मीद की जा सकती है। उदाहरण के लिए 28–29 मई, 2009 के दौरान शिमला में महिलाओं एवं बच्‍चों की तस्‍करी रोकने और दक्षिण एशिया में बच्‍चों के कल्‍याण को प्रोत्‍साहित करने से संबंधित सार्क समझौतों के कार्यान्‍वयन संबंधी क्षेत्रीय कार्यदल की तीसरी बैठक में महिलाओं और बच्‍चों की तस्‍करी के बारे में मानक प्रचालित प्रोटोकॉल को भी इसी तरह अंतिम रूप दिया गया।

सार्क के सदस्‍य देशों के बीच लोगों के स्‍तर पर गतिविधियों और यात्राओं के आदान–प्रदान में महत्‍त्‍वपूर्ण बढ़ोतरी हुई है। इसका श्रेय प्रशिक्षण कार्यक्रमों, कार्यशालाओं में हिस्‍सा लेने के अवसरों और सांस्‍कृतिक गतिविधियों के आयोजन को जाता है। इसके अंतर्गत प्रगति मैदान, आईटीपीओ, सूरजकुंड मेले में सार्क के सदस्‍य देशों की हथकरघा और हस्‍तशिल्‍प प्रदर्शनियां, दक्षिण एशियाई बैंड्स उत्‍सव, सार्क साहित्‍य उत्‍सव, सार्क लोकगीत उत्‍सव, सार्क साद्य महोत्‍सव, सार्क फैशन शो और भूटान में आगामी 9वां सार्क व्‍यापार मेला आदि आयोजन शामिल हैं।

सार्क की प्रक्रियाओं में भारत ने जो गतिशीलता पैदा की है, उसका पता असंख्‍य प्रशिक्षण कार्यक्रमों से भी चलता है, जिनकी मेजबानी भारत द्वारा सदस्‍य देशों के लिए की जाती है। ये कार्यक्रम महिला अधिकारिता, लघु वित्‍त, परिवहन, स्‍वास्‍थ्‍य, वित्‍त, सुरक्षा, ऊर्जा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि, शिक्षा और वाणिज्‍य आदि से संबंधित होते हैं।
उपरोक्‍त उपायों की बदौलत सार्क घोषणात्‍मक भूमिका से कार्यान्‍वयन चरण में प्रवेश कर रहा है।

भारत सार्क के प्रति इस बात के लिए गतिशील रूप में प्रतिबद्ध है कि वह स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और बुनियादी ढांचा जैसे मूलभूत विकासात्‍मक पहलुओं के बारे में पड़ोसी देशों को शामिल करेगा। इसे देखते हुए सार्क गतिविधियों/बैठकों की संख्‍या में वार्षिक तौर पर भारी इजाफा हुआ है। 2009 से 2010 तक ऐसे 133 कार्यक्रम निर्धारित किए गए हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि सार्क में एक नई गतिशीलता अधिकाधिक दिखाई दे रही है और क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग का यह प्राथमिक मंच दक्षिण एशिया के लोंगो तक विकास के लाभ पहुंचा रहा है।

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