Translate

Monday 3 December 2012

imp notes 2013



प्रश्न
उत्तर
जयपुर को नौ वगों के सिद्धांत पर बसाने वाला महान शिल्पकार कौन था
विद्याधर
सवाई जयसिंह के कल्पनानुसार जयपुर शहर की नींव रखी गई
राजगुरु पंडित जगन्नाथ सम्राट द्वारा
पत्थर की जाली एवं कटाई के कारण संसार की प्रसिद्ध हवेली
पटवों की हवेली (जैसलमेर)
डीग के महल (भारतीय एवं इस्लामी कला का समन्वय) स्थित है
डीग (भरतपुर) में
रानी की बावड़ी, संठ की बावड़ी तथा हाड़ी रानी का कुण्ड स्थित है
टोडारायसिंह में
सभी किलों का सिरमौर कहा जाता है
चित्तौड़गढ़ दुर्ग
किलो अलखणो यू कहे, आव कला राठौड़। मो सिर उतरे मोहणो, तो सिर बंधै मौड़।। यह लोक प्रसिद्ध दोहा किस दुर्ग से संबंधित है?
सिवाणा दुर्ग
अजमेर का तारागढ़ किला इस नाम से जाना जाता है
गढ़बीठली
तारागढ़ का निर्माण किसने करवाया था?
चौहान शासक अजयपाल ने
1452 ई. के लगभग राणा कुंभा द्वारा परमार शासकों द्वारा निर्मित आबू के पुराने किले के भग्नावशेषों पर किस दुर्ग का निर्माण करवाया गया?
अचलगढ़
जोधपुर के संस्थापक राव जोधा ने विक्रम संवत 1515 (1458 ई.) में जिस दुर्ग का निर्माण करवाया वह है
मेहरानगढ़ (जोधपुर)
चिडि़या अूंक पहाड़ी पर स्थित मेहरानगड़ का एक नाम यह भी है
मयूरध्वज गढ़
भगनो विद्युत मंडलाकुति गढ़ी जित्वा समस्तना रीन।यह उक्ति जिस दुर्ग के संबंध में कही गई है
मेवाड़ का मांडलगढ़
यहां का जगतशिरोमणी मंदिर हिंदु स्थापत्य कलाकी अनुपम कृति है
आमेर (जयपुर)
एशिया की सबसे बड़ी जयबाण तोप यहां है
जयगढ़ (जयपुर)
सवाई जयसिंह ने मराठों के विरूद्ध सुरक्षा के लिए कौनसा दुर्ग बनवाया था
नाहरगढ़ (सुदर्शनगढ़) आमेर
गागरौण का सुप्रसिद्ध दुर्ग स्थित है
झालावाड़ में
1155 ई. में रावल जैसल द्वारा स्थापित जैसलमेर का प्रसिद्ध दुर्ग है
सोनारगढ़ या सेनगढ़
सोनगढ़ किस केटी का दुर्ग है
धान्वन कोटी का
भाटियों की वीरता का साक्षी भटनेर का प्राचीन दुर्ग स्थित है
हनुमानगढ़
लाल पत्थरों से निर्मित बीकानेर स्थित दुर्ग
जुनागढ़
1733 ई. में महाराजा सुरजमल द्वारा निर्मित भूमि दुर्ग है
लोहागढ़ (भरतपुर)


वर्ष
महत्तवपूर्ण घटना
5000 ई.पू.
कालीबंगा सभ्यता
3500 ई.पू.
आहड़ सभ्यता
1000-600 ई.पू.
आर्य सभ्यता
300-600 ई.पू.
जनपद युग
350-600 ई.पू.
गुप्त वंश का हस्तक्षेप
551 ई.
वासुदेव चौहान द्वारा सांभर (सपादलक्ष) में चौहान राज्य की स्थापना
728 ई.
बप्पा रावल द्वारा चित्तौड़ में मेवाड़ राज्य की स्थापना
967 ई.
कछवाहा वंशी धोलाराय द्वारा आमेर राज्य की स्थापना
1018 ई.
महमूद गजनवी द्वारा प्रतिहार राज्य पर चढाई एवं विजय
1031 ई.
दिलवाड़ में आदिनाथ मंदिर का निर्माण विमलशाह ने करवाया
1113 ई.
अजयराज द्वारा अजमर (अजयमेरु) की स्थापना
1137 ई.
कछवाह वंश के दुलहराय ने ढूंढार राज्य की स्थापना
1156 ई.
राव जैसलसिंह द्वारा जैसलमेर की स्थापना
1191 ई.
तराईन का द्वितीय युद्ध - पृथ्वीराज व मुहम्मद गौरी के मध्य, पृथ्वीराज विजयी
1192 ई.
तराईन का तृतीय युद्ध - पृथ्वीराज व मुहम्मद गौरी के मध्य, मुहम्मद गौरी की विजय
1195 ई.
मुहम्मद गौरी द्वारा बयाना पर आक्रमण
1213 ई.
जैत्रसिंह मेवाड़ में गद्दीनसीन
1230 ई.
दिलवाड़ में तेजपाल व वास्तुपाल द्वारा नेमिनाथ मंदिर का निर्माण
1234 ई.
रावत जैत्रसिंह द्वारा इल्तुतमिश पर विजय
1237 ई.
रावत जैत्रसिंह द्वारा सुल्तान बलबन पर विजय
1242 ई.
राजा हाड़ा देशराज द्वारा बूंदी राज्य की स्थापना
1291 ई.
हम्मीर द्वारा जलालुद्दीन का आक्रमण विफल करना
1301 ई.
हमीर द्वारा अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण को विफल करना, षड्यंत्र द्वारा पराजित, रणथम्भौर के किले पर 11 जुलाई को तुर्की अधिकार स्थापित
1302 ई.
रत्नसिंह गुहिलों के सिंहासन पर बैठा
1303 ई.
राणा रतनसिंह अलाउद्दीन खिलजी के हाथों परास्त, चित्तौड़ पर खिलजी का अधिकार, चित्तौड़ का नाम परिवर्तीत कर खिज्राबाद
1308 ई.
कान्हड़देव चौहान खिलजी से परास्त, जालौर पर खिलजी का अधिपत्य
1326  ई.
राणा हमीर द्वारा चित्तौड़ पर पुनः शासन स्थापित

प्रश्न
उत्तर
वर्षा ऋतु से संबंधित राजस्थान का एक प्रसिद्ध लोकगीत
निहालदे-सोढा
हरजसकहते है
धर्मिक गीतों को
बड़े नारीयल कटोरी पर खाल मढकर बनाया जाने वाला वाद्य यंत्र
रावणहत्था
बांसुरी, अलगोजा, पुगी व शहनाई है 
सुषिर वाद्य
नड़ वाद्य का अधिक प्रचलन है
जैसलमेर में
होली के समय बजाया जाने वाला वाद्य यंत्र
चंग
कत्थक नृत्य की हिंदु शैली का नेतृत्व करने वाला घराना
जयपुर घराना
कत्थक नृत्य शैली का आदिम घराना
जयपुर घराना
मेवाड़ व बाड़मेर में होली सं संबंधित नृत्य
गैर
चंग नृत्य प्रसिद्ध है
शेखावटी में
राजस्थान के पगसिद्ध ढोल नृत्य से संबंधित जिला है
जालौर
बड़े नगाड़े को बजाकर किए लाने वाले बमनृत्य से संबंधित क्षैत्र है
भरतपुर
राजस्थान का राजकीय नृत्य या क्षेत्रिय सिरमौर नृत्य
घुमर
गवरी नृत्य किस जनजाती से संबंधित है
भील जनजाति से
स्त्री-पुरुषों द्वारा किया जाने वाला गरासियों का प्रसिद्ध नृत्य
वालर
चरी नृत्य संबंधित है
गुजरों से (फलूक बाई, किशनगढ)
तेरहताली नृत्य का प्रदर्शन किया जाता है
कामड़ औरतों द्वारा
लच्छीराम किस विख्यात लोकनाट्य के प्रवर्तक है
कुचामनी ख्याल के

राजस्थान का एकीकरण - वर्तमान राजस्थान की स्थापना से पूर्व यह राजपूताना कहलाता था। इसमें 18 राजाओं की रियासतें, 2 ठिकाने तथा अजमेर-मेरवाड़ा केंद्र द्वारा शासित प्रदेश शामिल थे। आम बोलचाल की भाषा में इसे रजवाड़ा कहते थे। वर्तमान राजस्थान के निर्माण का कार्य सन् 1948 में प्रारंभ होकर सात चरणों में सन् 1956 में पूरा हुआ -

1)
मत्स्य संघ का गठन (17 मार्च, 1948)
2)
पूर्व राजस्थान का गठन (25 मार्च, 1948)
3)
संयुक्त राजस्थान का गठन (18 अप्रेल, 1948)
4)
वृहत राजस्थान का गठन (30 मार्च, 1949)
5)
संयुक्त वृहत राजस्थान का गठन (15 मई, 1949)
6)
राजस्थान संघ का गठन (26 जनवरी, 1950)
7)
राजस्थान का पुनर्गठन (1 नवंबर, 1956)
साहित्यकार
रचनाएं
विशेष
कन्हैयालाल सेठिया
मींझर, गलगचिया, कूंक, पाताल पीथल तथा रमणिये रा सोरठा  (राजस्थानी भाषा में लिखी काव्यकृतियां)
-
विजयदान देथा
बातां री फुलवारी (लोक कथाएं)
1974 साहित्य अकादमी पुरस्कर से सम्मानित
सीताराम लालस
राजस्थानी शब्दकोश
-
कोमल कोठारी
राजस्थानी लोकगीतों, कथाओं आदि का संकलन (रूपायन संस्था द्वारा)
1975 नुहरू फैलोशिप पुरस्कार
अगरचंद नाहटा
पांडुलिपी संग्रह एवं लघुकथाएं
-
बसीर अहमद मयूख
गालिब की रचनाओं का राजस्थानी अनुवाद
(कोटा) 1976 सिंघवी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार
मणी मधुकर
भरत मुनी के बाद (उपन्यास)
पगफैरो (काव्य)
1976 प्रेमचंद पुरस्कार;
साहित्य पुरस्कार
मनोहर वर्मा
आग का गोला सूर्य, एक थी चुहिया दादी, मैं पृथ्वी हूं आदि
बाल साहित्य के जाने माने लेखक
महेन्द्र भानावत
गेहरो फूल गुलाब रो, देव नारायण रो भारत आदि
लोक कला, कथा, नुत्य, गायन के क्षेत्र में विशेष योगदान

राजस्थानी भाषा का प्राचीन एवं मध्यकालीन गद्य व पद्य साहित्य
चंदबरदाई
पृथ्वीराज रासो
बीठलदास
रूकमणी हरण
राठौड़ पृथ्वीराज
बेलीकिसनरूकमणी
माधेदास चारण
राम रासो
चारण शिवदास
अचलदास खींची री वचनिका
सूर्यमल्ल मिश्रण
वंशभास्कर
करणीदास
सूरज प्रकाश
केशवदास
विवेक बार निसानी
बांकीदास
बांकीदास ग्रंथावली
सिढ़यच दयालदास
राठौड़ों री ख्यात
ब्रजसेन सूरि
भरतेश्वर बाहुबली रास
हरिभद्र सूरि
धूर्ताख्यान
उद्ययोतन सूरि
कुवलय माला
सिद्धर्षि
उपमिति भव प्रपंचा
धनपाल
सच्चरियह महावीर उत्साह
बुद्धिसागर सूरि
पंचग्रंथी व्याकरण
जयानक
पृथ्वीराज विजय
पद्मनाभ
कान्हड़दे प्रबंध
वीठू सूज नागरजोत
राव जैतसी रो चंद
माधोदास चारण
रामरासे
किसनो
महादेव पारवती री वेली
साइंया झूला
नागदमण
सागरदान
रतनजस प्रकाश
गोपीनाथ
ग्रंथराज
जोगीदास
वरसलपुरगढ़ विजय
हेम कवि
गुणभाषा
केशवदास
गुण रूपक
कवि वीरभाण
राज रूपक
दलपति विजय
खुमान रासो
नरपति नाल्ह
बिसलदेव रासो
मुहता नैणसी री ख्यात
नैणसी
मेरुतंग
प्रबंध चिंतामणी
मण्डन
राज वल्लभ
महाराणा कुंभा
एकलिंग महातम्य
महाराणा कुंभा
संगीतराज
महाराणा कुंभा
संगीत मीमांसा
महाराणा कुंभा
सूढ प्रबंध
महाराणा कुंभा
रसिकप्रिया (गीत गोविंद पर टीका)
महाराणा कुंभा
संगीत रत्नाकर
जीवाधर
अमरसार
रणछोड़ भट्ट
अमरकाव्य वंशावली
सदाशिव
राजरत्नाकर
सदाशिव
राजविनोद
चंद्रशेखर
सुर्जनचरित्र
नयनचंद्र सूरि
हम्मीर महाकाव्य
जयसोम
कर्मचंद वंशोत्कीर्तनककाव्यम्
राजशेखर
प्रबंधकोश
जगजीवन
अजितोदय
हरिभद्र सूरि
समराइच्चकहा
हरिसेन
वृहतकथा कोश
श्रीधर
पाश्र्वनाथ चरित्र
पद्मनाभ
हम्मीरायण

जाति
विशेष
ढाढी
राजस्थान के जैसलमेंर व बाड़मेर जिले में रहने वाले ढाढी कलाकारों को मांगणियार के नाम से भी जाना जाता है। इनके प्रमुख वाद्य कमायचा व खड़ताल है।
मिरासी
मारवाड़ में रहने वाले इन कलाकारों में से अधिकतर सुन्नी संप्रदाय को मानने वाले है। भाटों की तरह ये भी वंशावलीयों का बखान करते है। सारंगी इनका प्रमुख वाद्य है।
भाट
मुख्यतः मारवाड़ में रहने पानी यह जाति अपने यजमानों की वंशावलियों का बखान करती है।
रावल
यह जाती चारणों को अपना यजमान मानती है।
भोपा
लोक देवीयों व देवताओं की स्तुती गा-बजाकर गुजर बसर करने वालों को भोपा कहते है। रावणहत्था भोपों का प्रमुख वाद्य है।
लंगा
पश्चिमी राजस्थान में राजपूतों को अपना यजमान मानने वाली लंगा जाति की गायकी में शास्त्रीय संगीत का ताना बाना है।
कंजर
घुमंतु जाति के ये कलाकार चकरी नृत्य करते है।
जोगी
यह जाति नाथ संप्रदाय को मानती है। ये भर्तृहीर, शिवाजी का ब्यावला व पंडून का कड़ा गायन में अपना विशिष्ट स्थान रखती है। जोगी अपने गायन के साथ सारंगी वाद्य का प्रयोग करते है।
भवाई
यह जाती भवाई नाट्य कला एवं इसके अंतर्गत बाघाजी व बीकाजी की नाटिकाएं व स्वांग करने हेतु प्रसिद्ध है।
अन्य पेशेवर लोक संगीत जातियों में कालबेलिया, कलावंत, ढोली, राणा, राव, कामड़ व सरगरा प्रमुख है।

No comments:

Post a Comment