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Friday 7 December 2012

Census of India 2011

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भारत की जनगणना 2011

भारत की जनगणना, 2011
सन 1872 से ही जनगणना, नागरिकों से संबंधित विभिन्न विशेषताओं एवं सांख्यिकीय सूचना का विश्वसनीय स्रोत रहा है। यह देश के अलग-अलग प्रांतों में भिन्न-भिन्न समय पर किया गया था। वर्ष 1881 में एक जनगणना पूरे देश के लिए एक साथ की गई थी। तब से हर दस साल में यह जनगणना बिना किसी व्यावधान के आयोजित की जाती है। यह तय समय पर देश की जनसंख्या और आवास का एक खाका बनाने में मदद करता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत महा पंजीयक एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय प्रत्येक दस वर्ष के बाद देश में जनगणना कराने के लिए एक नोडल प्राधिकरण है। 2011 की जनगणना 1872 के बाद से देश की 15वीं राष्ट्रीय जनगणना और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 7वीं जनगणना है।





जनगणना का महत्व
जनगणना का महत्व जनगणना हमें जनसांख्यिकी, आर्थिक गतिविधि, साक्षरता और शिक्षा, आवास और घरेलू सुविधाओं, शहरीकरण, प्रजनन और मृत्यु दर, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों, भाषा, धर्म, प्रवास, विकलांगता और कई अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक एवं जनसांख्यिकीय के संबंध में आंकड़ों के माध्यम से विस्तृत और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करती है।
यह जानकारी केंद्र और राज्य सरकारों को विभिन्न नीतियों और योजनाओं के निर्धारण में सहायता करती है। इसके अलावा, निर्वाचन क्षेत्रों- संसदीय/विधायी/पंचायती और अन्य स्थानीय निकायों के परिसीमन या आरक्षण भी जनसांख्यिकीय आंकड़ों पर आधारित होता है।



भारत की जनगणना 2011
जनगणना 2011 को दो चरणों में संचालित किया गया था। पहला चरण, जिसे आवास सूची या आवास जनगणना भी कहा जाता है को पिछले वर्ष अप्रैल और सितंबर माह के बीच देशभर में राज्यों/संघ शासित प्रदेशों की सुविधा के अनुसार आयोजित किया गया था। दूसरे चरण में जनसंख्या की गिनती देश भर में एक साथ 9 फरवरी 2011 से शुरू की गई और यह 28 फरवरी 2011 तक जारी रही।



जनगणना 2011 की नई विशेषताएं
जनगणना 2011 की नई विशेषताएं नवीनतम श्रेणियाँ निम्नलिखित नवीनतम श्रेणियों को व्यापक और बेहतर आंकड़ों के संग्रह के लिए शामिल किया गया है:
  • लिंगः पुरुष और स्त्री के अलावा 'अन्य' शीर्षक से नई श्रेणी की शुरुआत की गई।
  • आयु के साथ जन्म दिनांक का सवाल भी रखा गया।
  • वर्तमान वैवाहिक स्थिति: तलाकशुदा व अलग रहने वालों के लिए अलग खंड निरुपित किए गए।
  • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के परिचय के लिए नया शोधक प्रश्न रखा गया- क्या यह व्यक्ति अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति का है?
  • विकलांगता: भारत की घरेलू जनगणना 2001 की अनुसूची में विकलांगता के पाँच प्रकार शामिल थे, इसकी तुलना में घरेलू जनगणना 2011 की अनुसूची विकलांगता के संबंध में आठ प्रकार की जानकारी एकत्र करती है। जिसमें मुख्य रूप से 'देखने में', 'सुनने में', 'बोलने में', 'चलने-फिरने में', 'मानसिक मंदता', 'मानसिक रोग', 'अन्य कोई' और 'एकाधिक विकलांगता' जैसी विकलांगताओं की जानकारी एकत्र की जा रही है।
  • साक्षरता स्तर के मौजूदा पुरुष और महिला लिंग वर्गों के साथ 'अन्य' शीर्षक जोड़ा गया।
  • शैक्षिक संस्थानों में उपस्थिति की स्थिति पर क्रमशः (i) संस्थानों में न जाने वाले, (ii) पहले जा चुके एवं (iii) कभी न जाने वालों के लिए नए कोड को लागू किया गया।
  • श्रम: आंशिक श्रमिकों को दो श्रेणियों (i) 3 माह तक या उससे अधिक श्रम किया परंतु 6 माह से अधिक नहीं, (ii) 3 माह से कम श्रम किया में वर्गीकृत किया गया है। हालांकि श्रमिकों की मूल परिभाषा पहले जैसी ही बनी रहेगी।
  • किराएदारों के लिए एक अलग कोड-5 गैर आर्थिक गतिविधि के अंतर्गत शामिल किया गया।
  • प्रवास - वर्तमान ग्राम/जन्म स्थान के नगर के साथ अंतिम निवास स्थान का नाम निर्दिष्ट करने का प्रावधान किया गया।
  • संस्थागत परिवारों का नाम भी दर्ज किया गया है।
स्कूलों में जनगणना जनगणना 2011 में स्कूली छात्रों को जनगणना संचालन के बारे में जागरूक करने के लिए कदम उठाए हैं। जनगणना संगठन ने पूरे देश में 'स्कूलों में जनगणना' कार्यक्रम लागू किया है। यह बच्चों की सक्रिय भागीदारी के साथ उनके परिवारों की जनगणना के आंकड़ों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
इस कार्यक्रम के तहत देश के 640 जिलों में से प्रत्येक के लगभग 60 से 80 स्कूलों को शामिल किया गया। स्कूलों में जनगणना पर और अधिक - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं
प्रगणक शुभंकर जनगणना 2011 की प्रक्रिया को और अधिक लोगों के अनुकूल बनाने के लिए एक प्रगणक शुभंकर बनाया गया। यह शुभंकर लोगों को जनगणना की प्रक्रिया से जोड़ने और इसे समझाने में एक प्रगणक की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लोक शिकायतों के समाधान के लिए एक टोल फ्री नंबर 1800-345-0111 और कॉल सेंटर भी शुरू किया गया।



जनगणना के आंकड़े
अनंतिम परिणाम के अनुसार भारत की जनसंख्या 121 करोड़ तक पहुंच गई है। शून्य से छह वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की कुल संख्या में गिरावट आई है। 2001 की जनगणना में यह 163 लाख थी, जबकि 2011 की जनगणना में यह 158 लाख दर्ज की गई। विस्तृत जानाकारी के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें:
जनगणना 2011 की प्रशासनिक इकाइयों की संख्या
  • राज्य/संघ राज्य क्षेत्रः 35
  • जिले: 640
  • उप-जिले: 5,924
  • शहर: 7,938
  • गांव: 6.41 लाख
जनगणना 2011 के लिए अनुमानित लागत 22,000 लाख व प्रति व्यक्ति लागत 18.19 रुपए निकाली गई गई है। कुल 2.7 लाख कार्यकर्ताओं ने जनगणना के संचालन में काम किया। जनगणना कार्यक्रम सारणी का 16 भाषाओं में प्रचार किया गया। इसके लिए कुल 340 लाख सारणियां मुद्रित की गईं।
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की रचना जनगणना 2011 एक मील का पत्थर है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) देश के सामान्य निवासियों के लिए एक व्यापक पहचान डाटाबेस का निर्माण करेगा। यह एक बॉयोमीट्रिक डाटा है और इसमें प्रत्येक व्यक्ति (15 वर्ष और उससे अधिक आयु) का यूआईडी नंबर होगा।
महापंजीयक और जनगणना आयुक्त, भारत सरकार के कार्यालय द्वारा देश के सभी सामान्य निवासियों को चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रीय पहचान पत्र वितरित किया जाएगा।
एनपीआर देश में पहली बार स्थापित की गई है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर और अधिक - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं



जनगणना 2011 की नियमावली/परिपत्र/अनुसूचियाँ
जनगणना 2011 की नियमावली/परिपत्र/अनुसूचियाँ आइए, विभिन्न चरणों के दौरान मकानों को सूचीबद्ध करने और परिवारों की गणना करने की अनुदेश पुस्तिका के बारे में जानते हैं। यह मकान अनुसूची को भरने और अद्यतन करने, परिवारों की सारणी तैयार करने, सुधार करने, दिशा-निर्देश, प्रशिक्षण तथा जनगणाना पर्यवेक्षकों के उत्तरदायित्वों व कर्तव्यों पर प्रकाश डालती है।



जनगणना पर सामान्य जानकारी
अनुच्छेद 246 के अनुसार जनसंख्या की जनगणना भारत में केंद्रीय विषय है, लेकिन राज्य सरकारें जनगणना प्रक्रिया के संचालन में प्रशासनिक सहायता प्रदान करती हैं।
रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त का कार्यालय, जिसके प्रमुख रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त होते हैं, जनगणना की योजना बनाता है और उसे लागू कराता है। इसके क्षेत्रीय कार्यालय सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों (दादरा एवं नागर हवेली और संघ राज्य क्षेत्र दमन एवं दीव को छोड़कर, जो गुजरात कार्यालय से संबद्ध है) में हैं, जिसके प्रमुख जनगणना संचालन निदेशक होते हैं।
जनगणना संचालन निदेशक अपने संबंधित क्षेत्राधिकार में जनगणना के संचालन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
जनगणना प्रक्रिया को क्रियान्वित करने की दिशा में पहला कदम एक खास समय सीमा में देश के सभी भौगोलिक संस्थाओं, जिसमें राज्य, जिले, तहसील या तालुका या सामुदायिक विकास ब्लॉक और गांव या शहर शामिल हैं, की सूची तैयार करना है। जनगणना पर सामान्य जानकारी पर और अधिक - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है
प्रगणक, पर्यवेक्षक और क्षेत्र के अन्य कार्यकर्ता प्रत्येक परिवारों तक जाते हैं और जनगणना प्रपत्र को भरने के लिए संबंधित सवाल पूछते हैं। व्यक्तियों के बारे में एकत्र जानकारी को बिल्कुल गोपनीय रखा जाता है।
क्षेत्र में कार्य के बाद जनगणना प्रपत्र को देश भर के 15 शहरों में स्थित डाटा प्रोसेसिंग केंद्र ले जाया जाता है। डाटा प्रोसेसिंग तेजी से करने के लिए इंटेलिजेंट कैरेक्टर पहचान सॉफ्टवेयर (आईसीआर) का उपयोग होता है जिसकी सहायता से शारीरिक श्रम और लागत की बड़ी रकम बच जाती है। आईसीआर तकनीकी में उन्नत सुविधाएं है, जो जनगणना प्रपत्र को तेजी से स्कैन करता है और स्वचालित रूप से आंकड़े निकाल लेता है। जनगणना अधिनियम 1948 और जनगणना नियम 1990 के संवैधानिक प्रावधानों के तहत जनगणना आयोजित की जाती है।
130 वर्षों से अधिक के इतिहास में यह विश्वसनीय रहा है और हमेशा इसके आंकड़े सत्य माने गए हैं। जनसांख्यिकी, अर्थशास्त्र, नृविज्ञान, समाजशास्त्र, सांख्यिकी और अन्य कई विषयों में विद्वानों और शोधकर्ताओं के लिए भारतीय जनगणना के आंकड़े आकर्षक स्रोत रहे हैं। दस वर्ष में एक बार होने वाली जनगणना भारत के लोगों की समृद्ध विविधता का अध्ययन करने और इसे समझने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है।



राष्ट्रीय जनगणना नीति 2000
राष्ट्रीय जनगणना नीति 2000 राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, 2000 (एनपीपी 2000) में नागरिकों की स्वैच्छिक और सूचित स्वीकृत तथा नागरिकों की सहमति के प्रति सरकार की वचनबद्धता की पुष्टि की गई है, जबकि परिवार नियोजन सेवाओं के प्रशासन में मुक्त मार्ग एप्रोच है और प्रजनन स्वास्थ्य परिचर्या सेवाओं का लाभ उठाया जाता है। एनपीपी 2000 अगले दशक के दौरान भारत के लोगों के लिए जरूरी प्रजनन और बाल स्वास्थ्य के लिए रणनीतिक तैयारी और लक्ष्यों को तय करने और 2010 तक शुद्ध प्रतिस्थापन स्तर (टीएफआर) प्राप्त करने के लिए एक नीतिगत ढांचा प्रदान करती है। यह बाल अस्तित्व, मातृ स्वास्थ्य और गर्भनिरोधक मुद्दों से निपटने की जरूरत पर आधारित है जबकि सरकार, उद्योग और स्वैच्छिक गैर सरकारी क्षेत्र द्वारा साझेदारी में बाल स्वास्थ्य सेवाओं और प्रजनन के व्यापक पैकेज की पहुंच को बढ़ावा देना है।
राष्ट्रीय जनगणना नीति 2000 पर और अधिक - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं



फोटो गैलरी
जनगणना 2011 की ऑनलाइन फोटोगैलरी और भारत की जनगणना के ऐतिहासिक तस्वीरें प्रदान की गई हैं।



पुराने जनगणना अभियान
पुराने जनगणना अभियान जनगणना 2001 जनगणना अभियान 2001 के अनुसार राष्ट्रीय सारांश आंकड़े, भारत एक नजर में, राज्य एक नजर में, जिला प्रोफाइल, आबादी के साथ शहरों की सूची और लिंग आंकड़े आदि के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अभियान के दौरान आप विशेष अध्ययन के निष्कर्ष प्राप्त कर सकते हैं। जनगणना 2001 पर और अधिक - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं करें।

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