IAS ESSAY 2013 new pattern
सार्वजनिक प्राधिकरण के नियंत्रण के तहत सूचना तक सुरक्षित पहुंच के लिए नागरिकों को सशक्त बनाने हेतु सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम 2005 के प्रावधानों तथा सरकारी सुधारों में संलग्न नागरिकों पर सरकार द्वारा दिए गए बल को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने राष्ट्रीय आंकड़ा भागिता और अभिगम्यता नीति (एनडीएसएपी) अपनाई है। इस राष्ट्रीय नीति को मार्च 2012 में अधिसूचित किया गया, जिससे डेटा के प्रयोक्ताओं के बीच गैर संवेदनशील डेटा की पहुंच तथा आसानी से आदान प्रदान में वृद्धि होगी और ये वैज्ञानिक, आर्थिक तथा सामाजिक विकास प्रयोजनों के लिए उपलब्ध हो सकेंगे।
आरटीआई अधिनियम से निष्कासित मद ऋणात्मक सूची का भाग बनाएंगे।
किसी व्याख्यात्मक टिप्पणी की आवश्यकता के लिए आरटीआई अधिनियम का अध्ययन करने की जरूरत है।
प्रत्येक संगठन / विभाग / मंत्रालय द्वारा सुरक्षा, निजता, आईपीआर आदि को विचार में लेकर ऋणात्मक सूची बनाई जानी चाहिए।
ऋणात्मक सूची की समीक्षा लगातार की जानी चाहिए ताकि यह वास्तविक बन सके और प्रौद्योगिकी के अनुरूप हो।
इस नीति से किसी मौजूदा कानून जैसे आईपीआर कॉपी राइट और प्रस्तावित निजता कानून का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
प्रतिबंधित पहुंच
विकास के लिए आंकड़ा : राष्ट्रीय आंकड़ा भागिता और अभिगम्यता नीति (NDSP-National Data Sharing and Accessibility Policy)
.. . . .
अब इसे भली भांति समझा गया है कि सरकारी एजेंसियों द्वारा दिए गए डेटा एक
मूल्यवान और ऐसी परिसंपत्ति है जिनका स्थान कोई नहीं ले सकता, इनका प्रबंधन इस
प्रकार किया जाना चाहिए कि इनका सबसे व्यापक संभव उपयोग और पुन: उपयोग किया जा
सके। भरोसेमंद और समय पर प्राप्त डेटा का प्रावधान जनता के लिए मूल भूत अवसंरचना
के प्रावधान के साथ सरकार का एक महत्वपूर्ण दायित्व है। इस सीमा तक डेटा को एक
सार्वजनिक वस्तु के रूप में लिया जा सकता है। आधुनिकी सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा
नागरिकों को सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराएं गए इन डेटा तक आसानी तक पहुंच में
सक्षम बनाने के अलावा सार्वजनिक कार्यों में पारदर्शिता की प्रक्रिया को बढ़ावा
दिया गया है।"आर्थिक निर्णय लेने के लिए ही भरोसेमंद डेटा अनिवार्य नहीं हैं। लोक तांत्रिक सरकारों पर नीतियों को बताने के लिए सूचना को सचेत रूप से प्रोत्साहन देने का दायित्व है, ताकि सूचना व्यापक रूप से उपलब्ध हो सके। इन नीतियों द्वारा सूचना रखने वालों और सूचना नहीं रखने वालों के बीच का अंतर समाप्त होना चाहिए। हमारी सरकार ने एक सार्वजनिक मद के रूप में सूचना को बांटने का प्रयास किया है।"
- डॉ. मनमोहन सिंह, भारत के प्रधानमंत्री, 09 सितंबर
2008
.. . . . सार्वजनिक प्राधिकरण के नियंत्रण के तहत सूचना तक सुरक्षित पहुंच के लिए नागरिकों को सशक्त बनाने हेतु सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम 2005 के प्रावधानों तथा सरकारी सुधारों में संलग्न नागरिकों पर सरकार द्वारा दिए गए बल को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने राष्ट्रीय आंकड़ा भागिता और अभिगम्यता नीति (एनडीएसएपी) अपनाई है। इस राष्ट्रीय नीति को मार्च 2012 में अधिसूचित किया गया, जिससे डेटा के प्रयोक्ताओं के बीच गैर संवेदनशील डेटा की पहुंच तथा आसानी से आदान प्रदान में वृद्धि होगी और ये वैज्ञानिक, आर्थिक तथा सामाजिक विकास प्रयोजनों के लिए उपलब्ध हो सकेंगे।
.. . . .
. . . . . .
एनडीएसएपी क्यों? | ||
विभिन्न संगठनों और संस्थानों द्वारा देश में सार्वजनिक निधि का उपयोग करते
हुए बड़ी मात्रा में डेटा की मात्रा उपलब्ध होती है जो नागरिक समाज के लिए पहुंच
से दूर होती है, जबकि उक्त डेटा की अधिकांश संख्या गैर संवेदनशील प्रकार की होती
है और इसे वैज्ञानिक, आर्थिक तथा सामाजिक विकास प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जा
सकता है। भारत सरकार की इकाइयों के बीच उत्पन्न और उपलब्ध डेटा की बड़ी मात्रा
को उपयोग करने तथा लेन देन की सुविधा की सामान्य जरूरत है। इसके लिए एक नीति की
आवश्यकता है ताकि इन डेटा परिसंपत्तियों का उपयोग किया जा सके जो विभिन्न
एजेंसियों के पास मौजूद हैं। डेटा प्रबंधन की वर्तमान व्यवस्था में सरकार के पास मौजूद डेटा को सरकार की अन्य शाखाओं के साथ खुले तौर पर बांटा नहीं जा सकता और न ही डेटा के स्वामियों से बांटने योग्य डेटा के सक्रिय प्रकटन की उम्मीद की जा सकती है। उक्त व्यवस्था से प्रयासों का दोहराव और राष्ट्रीय विकास पर केंद्रित गतिविधियों की योजना में दक्षता की हानि होती है। डेटा के स्वामियों के बीच तथा सरकारी एजेंसियों के अंदर एवं इनके बीच उपलब्ध डेटा को जनता के साथ दक्षतापूर्वक बांटने के लिए डेटा मानकों और अंत: प्रचालनीय प्रणालियों की आवश्यकता है। सितंबर 1998 में, मंत्रीमंडल द्वारा राष्ट्रीय सांख्यिकी डेटा प्रसार नीति के लिए एक प्रस्ताव को अनुमोदन दिया गया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि विभिन्न सर्वेक्षणों और बनाए गए कुछ पैरामीटरों से यूनिट स्तर के डेटा तक पहुंचा जा सके और जिनके अंदर उक्त डेटा जनता को उपलब्ध कराएं जा सकें, जैसे वैयक्तिक उत्तरदाताओं की गोपनीयता। समय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नीति में यूनिट स्तर के डेटा का लाइसेंस युक्त उपयोग करने तथा सभी आधिकारिक आंकड़ों के लिए एकल बिंदु पहुंच के निर्माण की जरूरत पर बल दिया गया। वर्तमान नीति सांख्यिकी आंकड़ों के प्रसार के पारे है और इसमें सभी डेटा डोमेन जैसे वैज्ञानिक डेटा सहित भू स्थानिक डेटा, प्रशासनिक डेटा और इसके अलावा अधिकारिक रूप से संकल्ित आंकड़े शामिल हैं। | ||
एनडीएसएपी के
उद्देश्य
इस नीति का उद्देश्य भारत सरकार के पास मौजूद मानव द्वारा पढ़ने योग्य तथा
पूरे देश में एक नेटवर्क के माध्यम से मशीन द्वारा पढ़ने योग्य रूप में बांटने
योग्य डेटा तथा जानकारी तक पहुंच की सुविधा एक सक्रिय और समय समय पर अद्यतन किए गए
तरीके से उपलब्ध कराना है, जो भारत सरकार की विभिन्न संबंधित नीतियों, अधिनियमों
और नियमों की रूपरेखा के अंदर है और इस प्रकार इस तक व्यापक पहुंच की अनुमति मिलती
है तथा सार्वजनिक डेटा और सूचना का उपयोग किया जाता है।
डेटा के स्रोत
यह नीति भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों / विभागों / अधीनस्थ
कार्यालयों / संगठनों / एजेंसियों द्वारा सार्वजनिक निधि का उपयोग करते हुए
या तो डिजिटल या एनालॉग रूप में बांटने योग्य गैर संवेदनशील डेटा पर लागू करने के
लिए तैयार की गई है। एनडीएसएपी राष्ट्रीय योजना और विकास के लिए भारत सरकार के पास
उपलब्ध डेटा तक पहुंच की सक्षमता प्रदान करने और डेटा के आदान प्रदान को बढ़ावा
देने के लिए तैयार की गई है।.. . . .
एनडीएसएपी के लाभ | ||
उपयोग को अधिकतम बनानासरकार के स्वामित्व में डेटा तक पहुंच तैयार रखना ताकि समुदाय के लाभ के लिए मूल्यवान सार्वजनिक संसाधनों का और अधिक व्यापक उपयोग किया जा सके।दोहराव से बचनाडेटा के आदान प्रदान द्वारा अलग अलग निकायों द्वारा एक ही डेटा को जमा करने की जरूरत समाप्त होती है, जिससे डेटा संग्रह में लगाने वाली महत्वपूर्ण कीमत की बचत होती है।समेकन को अधिकतम बनानाडेटा के संग्रह और अंतरण के लिए सामान्य मानक अपना कर वैयक्तिक डेटा सेट का समेकन संभव हो सकता है।स्वामित्व की सूचनाप्रधान डेटा सेट के स्वामियों को अभिज्ञात करने से प्रयोक्ताओं को प्राथमिकता के अनुसार डेटा संग्रह कार्यक्रमों के कार्यान्वयन तथा डेटा मानकों के विकास के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को अभिज्ञात किया जा सकता है।बेहतर निर्णय लेनाडेटा और सूचना की सुविधाओं से बार बार लागत व्यय किए बिना महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं। मौजूदा मूल्यवान डेटा तक पहुंच तैयार होना अनेक निर्णय लेने वाले कार्यों के लिए अनिवार्य है जैसे पर्यावरण की सुरक्षा, योजना का विकास, परिसंपत्तियों का प्रबंधन, जीवन की पारिस्थितियों में सुधार, राष्ट्रीय सुरक्षा और आपदाओं पर नियंत्रण।पहुंच की साम्यताअधिक खुले डेटा अंतरण की नीति सभी मूल प्रयोक्ताओं को बेहतर पहुंच सुनिश्चित होती है। | ||
. . एनडीएसएपी की विशेषताएं
आरटीआई अधिनियम से निष्कासित मद ऋणात्मक सूची का भाग बनाएंगे।
किसी व्याख्यात्मक टिप्पणी की आवश्यकता के लिए आरटीआई अधिनियम का अध्ययन करने की जरूरत है।
प्रत्येक संगठन / विभाग / मंत्रालय द्वारा सुरक्षा, निजता, आईपीआर आदि को विचार में लेकर ऋणात्मक सूची बनाई जानी चाहिए।
ऋणात्मक सूची की समीक्षा लगातार की जानी चाहिए ताकि यह वास्तविक बन सके और प्रौद्योगिकी के अनुरूप हो।
इस नीति से किसी मौजूदा कानून जैसे आईपीआर कॉपी राइट और प्रस्तावित निजता कानून का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
डेटा का वर्गीकरण
जाता है। सांख्यिकी प्रणाली द्वारा उत्पन्न डेटा के प्रकारों में शामिल है
राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी, सांकेतक जैसे मूल सूचकांक, जनगणना और सर्वेक्षणों के
डेटा बेस तथा सांविधिक प्रावधानों से आने वाले प्रशासनिक डेटा। जबकि भू स्थानिक
डेटा में प्राथमिक रूप से उपग्रह के डेटा, मानचित्र आदि शामिल है। ऐसी प्रणाली में
महत्वपूर्ण हो जाता है कि मेटा डेटा, डेटा लेआउट और डेटा पहुंच नीति के संदर्भ में
स्तर बनाए रखे जाएं।
डेटा पहुंच
इस नीति में डेटा तक पहुंच बनाने वाले
प्रयोक्ताओं की भूमिका और प्रारूप को परिभाषित किया गया है।
खुली पहुंच
सार्वजनिक निधि से उत्पन्न डेटा तक पहुंच आसान, समय पर, प्रयोक्ता
अनुकूल और पंजीकरण / प्राधिकार की किसी प्रक्रिया के बिना वेब आधारित होनी
चाहिए।
पंजीकृत पहुंचप्रतिबंधित पहुंच
.. . . .
. . . .
डेटा पर किसका अधिकार होगा? | ||
यह डेटा एजेंसी / विभाग / मंत्रालय / इकाई की सम्पत्ति बना रहेगा जो उनके द्वारा संग्रह किया जाएगा और उनकी आईटी समर्थित सुविधा में पहुंच प्रदान करने और बांटने के लिए होगा। इस नीति के तहत डेटा तक पहुंच में भारत सरकार द्वारा लागू किसी अधिनियमों और नियमों का उल्लंघन नहीं किया जाएगा। इस नीति की कानूनी रूपरेखा डेटा को निहित करने वाले अधिनियमों और नियमों के अनुरूप बनाई जाएगी। | ||
वैश्विक परिदृश्य
दुनिया भर के अनेक देश नि:शुल्क रूप से सरकारी सूचना प्रदान करने वाली खुली डेटा नीति रखते हैं। उन्होंने अपने द्वारा संग्रह किए गए डेटा के एक भाग का वितरण करने के लिए विशेष डेटा पोर्टल रखे हैं। यूएसए ने http://www.data.gov साइट के माध्यम से अपने खुले डेटा उपलब्ध कराए हैं जो खुले सरकारी प्रयास के भाग के अलावा एक सक्रिय रूप में डेटा प्रदान करने वाली वेब साइट से कुछ अधिक व्यापक बन गई है। इसी प्रकार http://www.data.gov.uk के आरंभ होने से विकासकों के लिए लगभग 3000 डेटा सैट उपलब्ध हो गए है। ब्रिटिश सरकार सार्वजनिक डेटा में सर्वोच्च रहकर नवाचार की सबसे बड़ी समर्थक रही है। ब्रिटेन की डेटा साइट में आरंभ होने के समय 22 सैन्य संबंधी डेटा भी हैं। कनाडा भी सक्रिय रूप से 'गवर्नमेंट 2.0 पर कार्यरत है जो नगर निगम, प्रांतीय और संघीय स्तर पर डेटा उपलब्ध कराती है।
.. . . .
भारत के डेटा पोर्टल | ||
इस नीति का लक्ष्य प्रौद्योगिकी आधारित डेटा प्रबंधन संस्कृति और डेटा शेयरिंग
तथा पहुंच को बढ़ावा देना है। संचार और
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय
सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) , भारत के डेटा
पोर्टल( link click here) के माध्यम से प्रौद्योगिकी आधारित डेटा प्रबंधन प्रदान करने के
लिए जिम्मेदार है। इस पोर्टल का उपयोग भारत सरकार के मंत्रालयों, विभागों, उनके
संगठनों द्वारा डेटा सैट, दस्तावेज, सेवाएं, साधन और उनके द्वारा संग्रह किए गए
अनुप्रयोगों को प्रकाशित करने में सार्वजनिक उपयोग हेतु किया जाना है। बेस डेटा पोर्टल भारत सरकार और अमेरिकी सरकार का संयुक्त प्रयास है। डेटा पोर्टल इंडिया एक उत्पाद के रूप में पैक किया गया है तथा दुनिया भर के देशों द्वारा कार्यान्वयन के लिए खुले स्रोत में उपलब्ध कराया गया है। |
No comments:
Post a Comment