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Tuesday 4 December 2012

National symbols of India

India's national identity symbol
भारत की राष्‍ट्रीय पहचान के प्रतीक


इस खण्‍ड में आपको भारत की राष्‍ट्रीय पहचान के प्रतीकों का परिचय दिया गया है। यह प्रतीक भारतीय पहचान और विरासत का मूलभूत हिस्‍सा हैं। विश्‍व भर में बसे विविध पृष्‍ठभूमियों के भारतीय इन राष्‍ट्रीय प्रतीकों पर गर्व करते हैं क्‍योंकि वे प्रत्‍येक भारतीय के हृदय में गौरव और देश भक्ति की भावना का संचार करते हैं।


राष्‍ट्रीय ध्‍वज

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में समान अनुपात में तीन क्षैतिज पट्टियां हैं: गहरा केसरिया रंग सबसे ऊपर, सफेद बीच में और हरा रंग सबसे नीचे है। ध्वज की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का चक्र है।

शीर्ष में गहरा केसरिया रंग देश की ताकत और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का संकेत है। हरा रंग देश के शुभ, विकास और उर्वरता को दर्शाता है।

इसका प्रारूप सारनाथ में अशोक के सिंह स्तंभ पर बने चक्र से लिया गया है। इसका व्यास सफेद पट्टी की चौड़ाई के लगभग बराबर है और इसमें 24 तीलियां हैं। भारत की संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप 22 जुलाई 1947 को अपनाया।


मुद्रा चिन्ह

भारतीय रुपए का प्रतीक चिन्ह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आदान-प्रदान तथा आर्थिक संबलता को परिलक्षित कर रहा है। रुपए का चिन्ह भारत के लोकाचार का भी एक रूपक है। रुपए का यह नया प्रतीक देवनागरी लिपि के 'र' और रोमन लिपि के अक्षर 'आर' को मिला कर बना है, जिसमें एक क्षैतिज रेखा भी बनी हुई है। यह रेखा हमारे राष्ट्रध्वज तथा बराबर के चिन्ह को प्रतिबिंबित करती है। भारत सरकार ने 15 जुलाई 2010 को इस चिन्ह को स्वीकार कर लिया है।

यह चिन्ह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मुम्बई के पोस्ट ग्रेजुएट डिजाइन श्री डी. उदय कुमार ने बनाया है। इस चिन्ह को वित्त मंत्रालय द्वारा आयोजित एक खुली प्रतियोगिता में प्राप्त हजारों डिजायनों में से चुना गया है। इस प्रतियोगिता में भारतीय नागरिकों से रुपए के नए चिन्ह के लिए डिजाइन आमंत्रित किए गए थे। इस चिन्ह को डिजीटल तकनीक तथा कम्प्यूटर प्रोग्राम में स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है।


राष्‍ट्रीय पक्षी

भारतीय मोर, पावों क्रिस्‍तातुस, भारत का राष्‍ट्रीय पक्षी एक रंगीन, हंस के आकार का पक्षी पंखे आकृति की पंखों की कलगी, आँख के नीचे सफेद धब्‍बा और लंबी पतली गर्दन। इस प्रजाति का नर मादा से अधिक रंगीन होता है जिसका चमकीला नीला सीना और गर्दन होती है और अति मनमोहक कांस्‍य हरा 200 लम्‍बे पंखों का गुच्‍छा होता है। मादा भूरे रंग की होती है, नर से थोड़ा छोटा और इसमें पंखों का गुच्‍छा नहीं होता है। नर का दरबारी नाच पंखों को घुमाना और पंखों को संवारना सुंदर दृश्‍य होता है।


राष्‍ट्रीय पुष्‍प

कमल (निलम्‍बो नूसीपेरा गेर्टन) भारत का राष्‍ट्रीय फूल है। यह पवित्र पुष्‍प है और इसका प्राचीन भारत की कला और गाथाओं में विशेष स्‍थान है और यह अति प्राचीन काल से भारतीय संस्‍कृति का मांगलिक प्रतीक रहा है।

भारत पेड़ पौधों से भरा है। वर्तमान में उपलब्‍ध डाटा वनस्‍पति विविधता में इसका विश्‍व में दसवां और एशिया में चौथा स्‍थान है। अब तक 70 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया उसमें से भारत के वनस्‍पति सर्वेक्षण द्वारा 47,000 वनस्‍पति की प्रजातियों का वर्णन किया गया है।


राष्‍ट्रीय पेड़

भारतीय बरगद का पेड़ फाइकस बैंगा‍लेंसिस, जिसकी शाखाएं और जड़ें एक बड़े हिस्‍से में एक नए पेड़ के समान लगने लगती हैं। जड़ों से और अधिक तने और शाखाएं बनती हैं। इस विशेषता और लंबे जीवन के कारण इस पेड़ को अनश्‍वर माना जाता है और यह भारत के इतिहास और लोक कथाओं का एक अविभाज्‍य अंग है। आज भी बरगद के पेड़ को ग्रामीण जीवन का केंद्र बिन्‍दु माना जाता है और गांव की परिषद इसी पेड़ की छाया में बैठक करती


राष्‍ट्र–गान

भारत का राष्‍ट्र गान अनेक अवसरों पर बजाया या गाया जाता है। राष्‍ट्र गान के सही संस्‍करण के बारे में समय समय पर अनुदेश जारी किए गए हैं, इनमें वे अवसर जिन पर इसे बजाया या गाया जाना चाहिए और इन अवसरों पर उचित गौरव का पालन करने के लिए राष्‍ट्र गान को सम्‍मान देने की आवश्‍यकता के बारे में बताया जाता है। सामान्‍य सूचना और मार्गदर्शन के लिए इस सूचना पत्र में इन अनुदेशों का सारांश निहित किया गया है।
राष्‍ट्र गान - पूर्ण और संक्षिप्‍त संस्‍करण

स्‍वर्गीय कवि रविन्‍द्र नाथ टैगोर द्वारा "जन गण मन" के नाम से प्रख्‍यात शब्‍दों और संगीत की रचना भारत का राष्‍ट्र गान है। इसे इस प्रकार पढ़ा जाए:


जन-गण-मन अधिनायक, जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता,
पंजाब-सिंधु गुजरात-मराठा,
द्रविड़-उत्‍कल बंग,
विन्‍ध्‍य-हिमाचल-यमुना गंगा,
उच्‍छल-जलधि-तरंग,
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय गाथा,
जन-गण-मंगल दायक जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।


उपरोक्‍त राष्‍ट्र गान का पूर्ण संस्‍करण है और इसकी कुल अवधि लगभग 52 सेकंड है।

राष्‍ट्र गान की पहली और अंतिम पंक्तियों के साथ एक संक्षिप्‍त संस्‍करण भी कुछ विशिष्‍ट अवसरों पर बजाया जाता है। इसे इस प्रकार पढ़ा जाता है:

जन-गण-मन अधिनायक, जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता,
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।

संक्षिप्‍त संस्‍करण को चलाने की अवधि लगभग 20 सेकंड है।

जिन अवसरों पर इसका पूर्ण संस्‍करण या संक्षिप्‍त संस्‍करण चलाया जाए, उनकी जानकारी इन अनुदेशों में उपयुक्‍त स्‍थानों पर दी गई है।
राष्‍ट्र गान बजाना
राष्‍ट्र गान का पूर्ण संस्‍करण निम्‍नलिखित अवसरों पर बजाया जाएगा:
नागरिक और सैन्‍य अधिष्‍ठापन;
जब राष्‍ट्र सलामी देता है (अर्थात इसका अर्थ है राष्‍ट्रपति या संबंधित राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों के अंदर राज्‍यपाल/लेफ्टिनेंट गवर्नर को विशेष अवसरों पर राष्‍ट्र गान के साथ राष्‍ट्रीय सलामी - सलामी शस्‍त्र प्रस्‍तुत किया जाता है);
परेड के दौरान - चाहे उपरोक्‍त (ii) में संदर्भित विशिष्‍ट अतिथि उपस्थित हों या नहीं;
औपचारिक राज्‍य कार्यक्रमों और सरकार द्वारा आयोजित अन्‍य कार्यक्रमों में राष्‍ट्रपति के आगमन पर और सामूहिक कार्यक्रमों में तथा इन कार्यक्रमों से उनके वापस जाने के अवसर पर ;
ऑल इंडिया रेडियो पर राष्‍ट्रपति के राष्‍ट्र को संबोधन से तत्‍काल पूर्व और उसके पश्‍चात;
राज्‍यपाल/लेफ्टिनेंट गवर्नर के उनके राज्‍य/संघ राज्‍य के अंदर औपचारिक राज्‍य कार्यक्रमों में आगमन पर तथा इन कार्यक्रमों से उनके वापस जाने के समय;
जब राष्‍ट्रीय ध्‍वज को परेड में लाया जाए;
जब रेजीमेंट के रंग प्रस्‍तुत किए जाते हैं;
नौ सेना के रंगों को फहराने के लिए।
राष्‍ट्र गान का संक्षिप्‍त संस्‍करण मेस में सलामती की शुभकामना देते समय बजाया जाएगा।
राष्‍ट्र गान उन अन्‍य अवसरों पर बजाया जाएगा जिनके लिए भारत सरकार द्वारा विशेष आदेश जारी किए गए हैं।
आम तौर पर राष्‍ट्र गान प्रधानमंत्री के लिए नहीं बजाया जाएगा जबकि ऐसा विशेष अवसर हो सकते हैं जब इसे बजाया जाए।
जब राष्‍ट्र गान एक बैंड द्वारा बजाया जाता है तो राष्‍ट्र गान के पहले श्रोताओं की सहायता हेतु ड्रमों का एक क्रम बजाया जाएगा ताकि वे जान सकें कि अब राष्‍ट्र गान आरंभ होने वाला है। अन्‍यथा इसके कुछ विशेष संकेत होने चाहिए कि अब राष्‍ट्र गान को बजाना आरंभ होने वाला है। उदाहरण के लिए जब राष्‍ट्र गान बजाने से पहले एक विशेष प्रकार की धूमधाम की ध्‍वनि निकाली जाए या जब राष्‍ट्र गान के साथ सलामती की शुभकामनाएं भेजी जाएं या जब राष्‍ट्र गान गार्ड ऑफ ओनर द्वारा दी जाने वाली राष्‍ट्रीय सलामी का भाग हो। मार्चिंग ड्रिल के संदर्भ में रोल की अवधि धीमे मार्च में सात कदम होगी। यह रोल धीरे से आरंभ होगा, ध्‍वनि के तेज स्‍तर तक जितना अधिक संभव हो ऊंचा उठेगा और तब धीरे से मूल कोमलता तक कम हो जाएगा, किन्‍तु सातवीं बीट तक सुनाई देने योग्‍य बना रहेगा। तब राष्‍ट्र गान आरंभ करने से पहले एक बीट का विश्राम लिया जाएगा।



राष्‍ट्रीय नदी

गंगा भारत की सबसे लंबी नदी है जो पर्वतों, घाटियों और मैदानों में 2,510 किलो मीटर की दूरी तय करती है। यह हिमालय के गंगोत्री ग्‍लेशियर में भागीरथि नदी के नाम से बर्फ के पहाड़ों के बीच जन्‍म लेती है। इसमें आगे चलकर अन्‍य नदियां जुड़ती हैं, जैसे कि अलकनंदा, यमुना, सोन, गोमती, कोसी और घाघरा। गंगा नदी का बेसिन विश्‍व के सबसे अधिक उपजाऊ क्षेत्र के रूप में जाना जाता है और यहां सबसे अधिक घनी आबादी निवास करती है तथा यह लगभग 1,000,000 वर्ग किलो मीटर में फैला हिस्‍सा है। नदी पर दो बांध बनाए गए हैं - एक हरिद्वार में और दूसरा फरक्‍का में। गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉलफिन एक संकटापन्‍न जंतु है, जो विशिष्‍ट रूप से इसी नदी में वास करती है।

गंगा नदी को हिन्‍दु समुदाय में पृथ्‍वी की सबसे अधिक पवित्र नदी माना जाता है। मुख्‍य धार्मिक आयोजन नदी के किनारे स्थित शहरों में किए जाते हैं जैसे वाराणसी, हरिद्वार और इलाहाबाद। गंगा नदी बंगलादेश के सुंदर वन द्वीप में गंगा डेल्‍टा पर आकर व्‍यापक हो जाती है और इसके बाद बंगाल की खाड़ी में मिलकर इसकी यात्रा पूरी होती है।



भारत का राष्‍ट्रीय जलीय जीव

मीठे पानी की डॉलफिन भारत का राष्‍ट्रीय जलीय जीव है। यह स्‍तनधारी जंतु पवित्र गंगा की शुद्धता को भी प्रकट करता है, क्‍योंकि यह केवल शुद्ध और मीठे पानी में ही जीवित रह सकता है। प्‍लेटेनिस्‍टा गेंगेटिका नामक यह मछली लंबे नोकदार मुंह वाली होती है और इसके ऊपरी तथा निचले जबड़ों में दांत भी दिखाई देते हैं। इनकी आंखें लेंस रहित होती हैं और इसलिए ये केवल प्रकाश की दिशा का पता लगाने के साधन के रूप में कार्य करती हैं। डॉलफिन मछलियां सबस्‍ट्रेट की दिशा में एक पख के साथ तैरती हैं और श्रिम्‍प तथा छोटी मछलियों को निगलने के लिए गहराई में जाती हैं। डॉलफिन मछलियों का शरीर मोटी त्‍वचा और हल्‍के भूरे-स्‍लेटी त्‍वचा शल्‍कों से ढका होता है और कभी कभार इसमें गुलाबी रंग की आभा दिखाई देती है। इसके पख बड़े और पृष्‍ठ दिशा का पख तिकोना और कम विकसित होता है। इस स्‍तनधारी जंतु का माथा होता है जो सीधा खड़ा होता है और इसकी आंखें छोटी छोटी होती है। नदी में रहने वाली डॉलफिन मछलियां एकल रचनाएं है और मादा मछली नर मछली से बड़ी होती है। इन्‍हें स्‍थानीय तौर पर सुसु कहा जाता है क्‍योंकि यह सांस लेते समय ऐसी ही आवाज निकालती है। इस प्रजाति को भारत, नेपाल, भूटान और बंगलादेश की गंगा, मेघना और ब्रह्मपुत्र नदियों में तथा बंगलादेश की कर्णफूली नदी में देखा जा सकता है।

नदी में पाई जाने वाली डॉलफिन भारत की एक महत्‍वपूर्ण संकटापन्‍न प्रजाति है और इसलिए इसे वन्‍य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में शामिल किया गया है। इस प्रजाति की संख्‍या में गिरावट के मुख्‍य कारण हैं अवैध शिकार और नदी के घटते प्रवाह, भारी तलछट, बेराज के निर्माण के कारण इनके अधिवास में गिरावट आती है और इस प्रजाति के लिए प्रवास में बाधा पैदा करते हैं।


राजकीय प्रतीक

भारत का राजचिह्न सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है। मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। इसके नीचे घंटे के आकार के पदम के ऊपर एक चित्र वल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। एक ही पत्थर को काट कर बनाए गए इस सिंह स्तंभ के ऊपर 'धर्मचक्र' रखा हुआ है।

भारत सरकार ने यह चिन्ह 26 जनवरी, 1950 को अपनाया। इसमें केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं, चौथा दिखाई नही देता। पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है, जिसके दाईं ओर एक सांड और बाईं ओर एक घोड़ा है। दाएं तथा बाएं छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे हैं। आधार का पदम छोड़ दिया गया है। फलक के नीचे मुण्डकोपनिषद का सूत्र 'सत्यमेव जयते' देवनागरी लिपि में अंकित है, जिसका अर्थ है- 'सत्य की ही विजय होती है'।

राष्‍ट्रीय पंचांग

राष्‍ट्रीय कैलेंडर शक संवत पर आधारित है, चैत्र इसका माह होता है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ साथ 22 मार्च, 1957 से सामान्‍यत: 365 दिन निम्‍नलिखित सरकारी प्रयोजनों के लिए अपनाया गया:
भारत का राजपत्र,
आकाशवाणी द्वारा समाचार प्रसारण,
भारत सरकार द्वारा जारी कैलेंडर और
लोक सदस्‍यों को संबोधित सरकारी सूचनाएं

राष्‍ट्रीय कैलेंडर ग्रेगोरियम कैलेंडर की तिथियों से स्‍थायी रूप से मिलती-जुलती है। सामान्‍यत: 1 चैत्र 22 मार्च को होता है और लीप वर्ष में 21 मार्च को।



राष्‍ट्रीय पशु

राजसी बाघ, तेंदुआ टाइग्रिस धारीदार जानवर है। इसकी मोटी पीली लोमचर्म का कोट होता है जिस पर गहरी धारीदार पट्टियां होती हैं। लावण्‍यता, ताकत, फुर्तीलापन और अपार शक्ति के कारण बाघ को भारत के राष्‍ट्रीय जानवर के रूप में गौरवान्वित किया है। ज्ञात आठ किस्‍मों की प्रजाति में से शाही बंगाल टाइगर (बाघ) उत्‍तर पूर्वी क्षेत्रों को छोड़कर देश भर में पाया जाता है और पड़ोसी देशों में भी पाया जाता है, जैसे नेपाल, भूटान और बांग्‍लादेश। भारत में बाघों की घटती जनसंख्‍या की जांच करने के लिए अप्रैल 1973 में प्रोजेक्‍ट टाइगर (बाघ परियोजना) शुरू की गई। अब तक इस परियोजना के अधीन 27 बाघ के आरक्षित क्षेत्रों की स्‍थापना की गई है जिनमें 37, 761 वर्ग कि.मी. क्षेत्र शामिल है।

राष्‍ट्रीय गीत

वन्‍दे मातरम गीत बंकिम चन्‍द्र चटर्जी द्वारा संस्‍कृत में रचा गया है; यह स्‍वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्ररेणा का स्रोत था। इसका स्‍थान जन गण मन के बराबर है। इसे पहली बार 1896 में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था। इसका पहला अंतरा इस प्रकार है:

वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥

गद्य रूप 1 में श्री अरबिन्‍द द्वारा किए गए अंग्रेजी अनुवाद का हिन्‍दी अनुवाद इस प्रकार है:

मैं आपके सामने नतमस्‍तक होता हूं। ओ माता,
पानी से सींची, फलों से भरी,
दक्षिण की वायु के साथ शान्‍त,
कटाई की फसलों के साथ गहरा,
माता!
उसकी रातें चाँदनी की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही है,
उसकी जमीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुंदर ढकी हुई है,
हंसी की मिठास, वाणी की मिठास,
माता, वरदान देने वाली, आनंद देने वाली।


राष्‍ट्रीय फल

एक गूदे दार फल, जिसे पकाकर खाया जाता है या कच्‍चा होने पर इसे अचार आदि में इस्‍तेमाल किया जाता है, यह मेग्‍नीफेरा इंडिका का फल अर्थात आम है जो उष्‍ण कटिबंधी हिस्‍से का सबसे अधिक महत्‍वपूर्ण और व्‍यापक रूप से उगाया जाने वाला फल है। इसका रसदार फल विटामिन ए, सी तथा डी का एक समृद्ध स्रोत है। भारत में विभिन्‍न आकारों, मापों और रंगों के आमों की 100 से अधिक किस्‍में पाई जाती हैं। आम को अनंत समय से भारत में उगाया जाता रहा है। कवि कालीदास ने इसकी प्रशंसा में गीत लिखे हैं। अलेक्‍सेंडर ने इसका स्‍वाद चखा है और साथ ही चीनी धर्म यात्री व्‍हेन सांग ने भी। मुगल बादशाह अकबर ने बिहार के दरभंगा में 1,00,000 से अधिक आम के पौधे रोपे थे, जिसे अब लाखी बाग के नाम से जाना जाता है।

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